Few lines from a conversation between
two great patriots
two great pundit of politics
two great philosophers
of Nanda's era
महामात्य कात्तायण: आज मैंने देख लिया आर्य! सच की परिभाषा व्यक्ति के साथ बदल जाती है | जिनकी भुजाओं में शक्ति होती है , उनकी मुट्ठी में सच होता है |
महामन्त्री षत्ताअर: जब यह जानते हो तो फिर क्यों व्यथित हो रहे हो अमात्य | यही दर्शन है और यही राजनीति भी |
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